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7 शक्तिशाली रुद्राभिषेक के प्रकार: प्राचीन से आधुनिक

7 शक्तिशाली रुद्राभिषेक के प्रकार: प्राचीन से आधुनिक
7 शक्तिशाली रुद्राभिषेक के प्रकार: प्राचीन से आधुनिक

 

 


अनुक्रमणिका

रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते हैं?

रुद्राभिषेक करने के लाभ

रुद्राभिषेक की प्रक्रियाएँ और अनुष्ठान


 

रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते हैं?

 

“रुद्र” भगवान शिव का नाम है और “अभिषेक” का अर्थ है शुद्धि। रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं। माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से किसी भी प्रकार की मनोकामना पूरी हो सकती है। ऐसे में रुद्राभिषेक करने का सही दिन, तिथि और तरीका जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में रुद्राभिषेक की बहुत मान्यता है तथा सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना दुगुना फलदायक होता है। रुद्राभिषेक विभिन्न प्रकार से किया जाता है तथा हर एक की अलग मान्यता होती है जैसे दूध अभिषेक संतान प्राप्ति के लिए, शहद अभिषेक धन प्राप्ति के लिए आदि। आइए विस्तार में रुद्राभिषेक के प्रकार समझते हैं।

 

मुख्यतः रुद्राभिषेक के 7 प्रकार होते हैं:

 

  • जल अभिषेक:- माना जाता है कि जलाभिषेक या जल अभिषेक करने से लाभ की वर्षा होती है तथा सभी पाप धुल जाते हैं या जीवन में आई विपत्तियाँ टल जाती हैं। तांबे के बर्तन में जल भरकर, उस पर कुमकुम से तिलक लगाना चाहिए तथा बर्तन पर मोली बांधते हुए ऊं इंद्राय नमः का जाप करना चाहिए। उसके पश्चात ही भगवान शिव का उस जल से अभिषेक करना चाहिए।

 

 

  • दूध अभिषेक:- दूध अभिषेक या दुग्धाभिषेक ठीक जलाभिषेक की तरह किया जाता है बस इसमें हमें ऊं श्री कामधेनवे नमः का जाप करना चाहिए। दूध अभिषेक से प्रसन्न हो भगवान शिव अपने भक्तों को लम्बी आयु देते हैं तथा घर या दफ्तर में शांति का वातावरण बना रहता है।

 

  • शहद अभिषेक :- शहद अभिषेक करने के लिए तांबे के बर्तन में गंगाजल डालकर शहद को मिला लें, उस बर्तन पर मोली बांधते समय ऊं चंद्रमसे नमः का जाप करें। शहद अभिषेक करने से धन में वृद्धि होती है तथा जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। 

 

  • दही अभिषेक:- तांबे के बर्तन में दही भरकर भगवान शिव का अभिषेक करें। जो विवाहित जोड़े संतान प्राप्ति में कठिनाई महसूस करते हैं, उनके द्वारा किए गए दही अभिषेक से संतान प्राप्ति की समस्या दूर हो जाती है। 

 

  • घी अभिषेक :- एक साफ बर्तन में शहद और घी लेकर उसे कुमकुम से तिलक लगाकर ऊं धन्वन्तर्यै नमः का जाप करें। फिर घी और शहद से भगवान शिव का अभिषेक करें। घी अभिषेक करने से किसी भी तरह की बीमारी से छुटकार मिलता है। 

 

  • इत्र अभिषेक:- इत्र अभिषेक को सुंगधित जल अभिषेक भी कहा जाता है। शादीशुदा जीवन से सुखी ना होने पर इसका अभिषेक करना चाहिए, इससे आपके संबंधों में सुधार आएगा। इसमें केसर, चंदन, और अन्य पवित्र पदार्थों से युक्त जल का उपयोग होता है भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए। 

 

  • पंचामृत अभिषेक:- पंचामृत अभिषेक करने के लिए पांच चीजों का प्रयोग किया जाता है – दूध, दही, घी, शहद और चीनी या गन्ने का रस। माना जाता है कि इससे सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। तांबे के बर्तन में पंचामृत भरकर कुमकुम से तिलक करना चाहिए। धन और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पंचामृत अभिषेक करना चाहिए।

 

रुद्राभिषेक करने के लाभ

 

अब तक आप लोग रुद्राभिषेक के कई लाभ तो जान ही गए होंगे लेकिन फिर भी आपको बता दें कि इस पूजा के निम्नलिखित लाभ हैं:-

  • मोक्ष प्राप्ति
  • सुख प्राप्ति
  • संतान प्राप्ति
  • धन प्राप्ति
  • मनोकामना पूर्ण होना
  • घर या प्रॉपर्टी से जुड़े लाभ
  • आरोग्यता 
  • वंश विस्तार
  • शत्रुओं से मुक्ति
  • बुद्धि वृद्धि
  • नकारात्मक ऊर्जा का समापन
  • ग्रह शांति 

 

रुद्राभिषेक की प्रक्रियाएँ और अनुष्ठान

 

हमें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। साथ ही साथ भगवान शिव, पार्वती एवं सभी देवताओं का मनन करना चाहिए। 

मुख्य तौर पर जो वस्तुएं बाकी पूजाओं में इस्तेमाल होती हैं वहीं सब हमें रुद्राभिषेक के लिए भी तैयार रखनी चाहिए जैसे की दीया, घी, तेल, बाती, फूल, सिंदूर, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती, सफेद फूल, बेल पत्र, दूध, गंगा जल गुलाब जल आदि । 

इस प्रक्रिया के लिए शिवलिंग का उत्तर दिशा में होना ज़रूरी है, यदि शिवलिंग उत्तर दिशा में नहीं है तो पहले उसे उत्तर दिशा में स्थापित किया जाएगा और आपको पूरब दिशा की ओर मुख करके बैठना होगा। 

रुद्राभिषेक प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए तथा उसके बाद ही बाकी की सामग्री जैसे दूध, घी, इत्र, आदि को अर्पित करना चाहिए।

प्रत्येक पदार्थ का उपयोग क्रम से किया जाता है और हर बार पवित्र जल से स्नान कराया जाता है।

अंत में बिल्ब पत्र या फूल चढ़ाने चाहिए और भक्तों में प्रसाद वितरण करना चाहिए

किसी भी शिव पूजा की तरह इसमें भी “ओम नमः शिवाय” का उच्चारण किया जाता है। अर्थात हम यह कहते हैं कि हर प्रकार के अभिषेक के लिए ये चरण होते हैं:- शुद्धिकरण, स्थापना, ध्यान, अभिषेक (जिस भी पदार्थ से करना हो), मंत्र जाप, शिवलिंग की भेंट, आरती एवं प्रसाद।

 

निष्कर्ष:-

 

रुद्राभिषेक की विभिन्न प्रकार की विधियाँ शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रद्धा से भरी होती हैं। प्रत्येक प्रकार के अभिषेक का अपना विशेष महत्व और प्रभाव होता है, जो भक्तों की इच्छाओं और समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। जल, दूध, दही, घी, शहद, नारियल पानी, पंचामृत और भस्म जैसे विभिन्न सामग्री का उपयोग कर रुद्राभिषेक करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है।

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FAQs

सबसे शक्तिशाली रुद्राभिषेक कौन सा है?

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देखा जाए तो सभी रुद्राभिषेक अपनी अलग अलग मान्यता रखते हैं, पर पंचामृत अभिषेक को हम सबसे शक्तिशाली रुद्राभिषेक कह सकते हैं।

क्या कोई भी रुद्राभिषेक कर सकता है, या यह कुछ व्यक्तियों तक सीमित है?

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किसी विद्वान पंडित से रुद्राभिषेक कराया जाए तो उचित माना जाता है। वैसे आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इसे विधिपूर्ण कर सकते हैं।

रुद्राभिषेक कितनी बार करना चाहिए?

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रुद्र के 11 अवतार हैं, इस वजह से साल में 11 बार रुद्राभिषेक करना चाहिए परंतु सावन मास में 1 रुद्राभिषेक करना भी बहुत लाभदायक होता है|