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अंक विद्या को समझना: भाग्यशाली संख्याओं, स्वामियों और यह कैसे काम करती है

अंक विद्या भाग्यशाली नंबर और उनके स्वामी
अंक विद्या भाग्यशाली नंबर और उनके स्वामी

 

सामग्री सूची


 

अंक विद्या क्या है और यह कैसे काम करती है?

 

अंक विद्या, अंक शास्त्र या न्यूमैरोलॉजी ज्योतिष शास्त्र में अंकों का अध्ययन करके व्यक्ति के स्वभाव, जीवन, आदि की भविष्यवाणी की जा सकती है।

ज्योतिषशास्त्र में नौ में से प्रत्येक ग्रह को 1 से 9 तक का एक अंक दिया जाता है। सूर्य, चन्द्र, गुरु,arun, बुध, शुक्र, वरुण, शनि और मंगल इन ग्रहों में आते हैं।

जातक की जन्म तिथि के अंको से उसके जीवन का अनुमान लगाया जाता है। साथ ही साथ नाम के अक्षरों से नामांक निकाल कर भी जातक के भाग्य के बारे में बताया जाता है।

 

ये शिक्षा भारत में वर्षों से चली आ रही है। पुराने गुरुओं द्वारा चलाई गई ये शिक्षा आज पूरे विश्व में स्वीकार्य है। भारत का अंको से पहले से ही विशिष्ट संबंध है और कहीं न कहीं उसी का परिणाम है ये सर्वप्रचलित अंक विद्या।

 

अंक विद्या में अलग-अलग प्रकार की संख्याएँ होती हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण होती है जीवन पथ संख्या। आइए देखते हैं जीवन पथ संख्या की गणना कैसे होती है अंक विद्या:-

 

अंक ज्योतिष के अनुसार कोई भी गणना करने के लिए पहले संख्या को एकल संख्या में परिवर्तन करना होता है। अपने जन्म तिथि के दिन महीने और वर्ष की तारीख को एकल संख्या में परिवर्तित कर लें फिर उन सब का जोड़ करें और उस संख्या को भी एकल में परिवर्तित कर लें अब जो संख्या आपको प्राप्त हुई है वह यदि एकल में नहीं है तो उसे वैसे ही रहने दीजिए। 

उदाहरण :- जन्मतिथि 15 जुलाई 1990

  1. जन्म तारीख: 15
    • 1 + 5 = 6
  2. जन्म महीना: जुलाई (7 वां महीना)
    • 7
  3. जन्म वर्ष: 1990
    • 1 + 9 + 9 + 0 = 19
    • 1 + 9 = 10
    • 1 + 0 = 1

अब इन सभी संख्याओं को जोड़ दें:

  • 6 + 7 + 1 = 14
  • 1 + 4 = 5

अतः इस जन्मतिथि वाले व्यक्ति की जीवन पथ संख्या 5 है।

 

अंक विद्या के अनुसार कौन सा नंबर भाग्यशाली है?

 

 

अक्सर ही लोगों का ये सवाल रहता है कि अंक विद्या के अनुसार सबसे भाग्यशाली नंबर कौन सा है? तो आपको बता दें की कोई एक नंबर हर किसी के लिए भाग्यशाली नहीं हो सकता है। अंक विद्या मनुष्य की जन्मतिथि एवं उसके नाम पर भी निर्भर करती है और प्रत्येक व्यक्ति के लिए भाग्यशाली नंबर अलग होता है। आइए देखते हैं कुछ नंबरों की विशेषताएं जो भाग्यशाली माने जाते हैं जैसे:-

 

नंबर 1: सूर्य का यह नंबर नेतृत्व, महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास का प्रतीक है।

नंबर 3: यह संख्या बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करती है और ज्ञान, खुशी और रचनात्मकता का संकेत करती है।

नंबर 5: यह नंबर बुध का प्रतीक है और बुद्धि, उत्सुकता और गतिशीलता का प्रतीक है।

नंबर 6: शुक्र को प्रेम, सौंदर्य और सामंजस्य का नंबर मानते हैं।

नंबर 7: यह नंबर केतु का प्रतीक है और आध्यात्मिकता, गहराई और अंतर्दृष्टि का प्रतीक है।

नंबर 9: यह मंगल का नंबर है और ऊर्जा, साहस और प्रेरणा का प्रतीक है।

 

अब बात करते हैं कि यदि कोई एक भाग्यशाली संख्या नहीं है तो व्यक्तिगत भाग्यशाली संख्या की गणना कैसे की जाए?

व्यक्तिगत भाग्यशाली संख्या 2 प्रकार की होती हैं :- नाम आधारित और जन्म तिथि आधारित

 

  1. नाम आधारित भाग्यशाली संख्या :- यदि आपका नाम है अनमोल 

to अ(1) + न(14) + म(13)  + ओ(15) + ल(12) 

=55

=5+5 =10

=1+0 =1

अतः अनमोल नाम के व्यक्ति की नाम आधारित भाग्यशाली संख्या होगी 1

  1. जन्म तिथि आधारित भाग्यशाली संख्या :- यदि आपकी जन्म तिथि है 12 FEB 2005

to 1+2+2+2+0+0+5 = 12 = 1+2 = 3

अर्थात इस जन्म तिथि वाले व्यक्ति की जन्मतिथि आधार संख्या होगी 3

 

महत्वपूर्ण निर्णय लेने में अपनी भाग्यशाली संख्या का उपयोग करें, जैसे घर का नंबर, फोन नंबर या कार का नंबर चुनना। रोज अपनी भाग्यशाली संख्या का उपयोग करें। किसी विशेष दिन या समय पर महत्वपूर्ण काम करना एक उदाहरण है। विपत्ति का सामना करते समय सकारात्मक रहें ताकि आप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकें और अपनी भाग्यशाली संख्या को ध्यान में रखें।

 

 

संख्याओं के स्वामी: ब्रह्मांडीय शासक और उनका प्रभाव

 

 

जैसा की हमने बताया की अंक विद्या के अनुसार अलग अलग संख्याओं में अलग अलग कम्पन होता है जो ब्रह्मांड के अलग अलग पहलुओं को बदलने की क्षमता रखता है। माना जाता है कि हर एक संख्या का एक अलग ग्रह ब्रह्मांडीय शासक होता है और उसमे कोई ब्रह्माण्ड का रहस्य या शक्तिशाली ऊर्जा छुपी रहती है।

 

आइए देखते हैं अलग-अलग संख्याओं के ब्रह्मांडीय शासक:-

संख्या एक का ब्रह्मांडीय शासक सूर्य होता है, संख्या 2 का चंद्रमा, संख्या तीन बृहस्पति, संख्या चार राहु, संख्या 5 बुद्ध, संख्या 6 शुक्र, संख्या 7 केतु, संख्या 8 शनि एवं संख्या 9 का ब्रह्मांडीय शासक मंगल ग्रह होता है। इन सभी की विशेषताएं हमने पहले ही बता दी हैं।

यह संबंध ज्योतिष और खगोल विज्ञान पर भी आधारित है। जैसा कि सूर्य सभी ग्रहों का राजा होता है इसी कारण वह आत्म शक्ति और नेतृत्व जैसी विशेषताएं दिखाता है। वहीं दूसरी ओर चंद्रमा को हमारे मन का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना जाता है इसी कारण वह भावनाओं एवं संवेदनशीलता को दर्शाता है। बृहस्पति को गुरु भी कहते हैं अर्थात वह शिक्षा का प्रतीक होता है, इसी कारण वह ज्ञान, आध्यात्मिकता वाले व्यक्ति का ब्रह्मांडीय शासक होता है। इसी प्रकार हम बुध ग्रह की बात करें तो बुद्ध अर्थात बुद्धिमत्ता, संचार और व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है बुध ग्रह। शुक्र ग्रह प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। संख्या 6 वाले लोग प्रेम और सौंदर्य के प्रति आकर्षित होते हैं। इसी प्रकार यदि हम शनि ग्रह की बात करें तो शनि कर्म, अनुशासन, जिम्मेदारी का प्रतीक होता है इसलिए जिन लोगों की भाग्य संख्या आठ होती है और शनि उनका ब्रह्मांडीय शासक होता है वह लोग बहुत जिम्मेदार, कर्म और अनुशासन वाले लोग होते हैं।

 

 

अंक विद्या कैसे काम करती है?

 

 

अंक विद्या को समझने के लिए हम अपना अंक विद्या चार्ट बना सकते हैं। यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताता है और हमें हमारा व्यक्तित्व समझने का भी मौका देता है। इसमें विभिन्न तरह की संख्याओं संख्याओं की गणना की जाती है।आइए देखते हैं कि कौन-कौन सी संख्याओं की गणना करके हम अपना अंक विद्या चार्ट समझ सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं:-

  • सबसे पहली संख्या है जीवन पथ संख्या। इसकी गणना करना हमने पहले भी बताया था। जीवन पथ संख्या सबसे महत्वपूर्ण संख्या मानी जाती है और इसे ज्ञात करने के लिए हमें अपने जन्म तिथि के दिन, महीने और वर्ष के अंकों को जोड़कर एकल संख्या में परिवर्तित करना होता है। अंत में हमें जो एकल संख्या मिलती है वही हमारी जीवन पथ संख्या होती है। 
  • दूसरी महत्वपूर्ण संख्या है भाग्यांक या भाग्य संख्या। अपने पूरे नाम के अक्षरों को अंकों में परिवर्तित कर लें जैसे कि ए = 1 बी = 2 । ऐसे सभी अंकों को जोड़ लें, अंत में जो नंबर हमें मिलता है वही हमारी भाग्य संख्या होती है। यह संख्या हमारे भाग्य के बारे में बताती है। हम अपने सपनों को पूरा कर पाएंगे या नहीं इस बारे में बताती है तथा हम जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे या नहीं इसके बारे में भी बताती है।
  • तीसरी महत्वपूर्ण संख्या होती है आत्मा की अभिलाषा संख्या जिसे “soul urge number” भी कहते हैं. अपने नाम के सभी स्वरों को उनके अंकों में परिवर्तित करके उनका जोड़ कीजिए और अंत में एक एकल संख्या प्राप्त कीजिए। वह संख्या हमारी आत्मा की अभिलाषा संख्या होती है और यह हमारे आत्मा की इच्छाओं के बारे में बताती है। हमारे दिल की सच्ची अभिलाषाओं के बारे में बताती है।
  • चौथे नंबर पर आती है व्यक्तित्व संख्या और इसे ज्ञात करने के लिए अपने नाम के सभी व्यंजनों से संबंधित अंको को जोड़ें तथा अंत में एक एकल संख्या प्राप्त कीजिए। वह संख्या व्यक्तित्व संख्या होती है व्यक्तित्व संख्या बताती है कि हमारा दूसरों के प्रति कैसा आचरण है।
  • पांचवी संख्या है अभिव्यक्ति संख्या, इसकी गणना भी भाग्यांक की तरह ही की जाती है बस इसका महत्व अलग होता है। अभिव्यक्ति संख्या हमें बताती है कि हम किस प्रकार के व्यक्ति हैं और हमारे गुण और दोष के बारे में हमें बताती है। हमारी कमजोरी और हमारी क्षमताओं के बारे में यह हमें ज्ञात करती है। 

साथ ही साथ यह कहा जाता है कि अंक विद्या का इस्तेमाल हमें ज्यादातर अपने जीवन में कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय ही करना चाहिए और महत्वपूर्ण निर्णय में विवाह संबंधी निर्णय सबसे ऊपर आते हैं। इसलिए प्रेम और रिश्तो की संगतता को समझने के लिए अंक विद्या बहुत उपयोगी साबित होती है। अंक विद्या के अनुसार हर तरह की संख्या के लिए कुछ दूसरी संख्याएं होती हैं जो कि यह दर्शाती हैं कि वह दोनों व्यक्ति एक दूसरे के लिए एक मजबूत रिश्ता बनाते हैं कि नहीं। अगर आपकी और आपके साथी की संख्याएं अंक विद्या के अनुसार हो तो यह न केवल आपको एक दूसरे को बेहतर समझने में मदद करता है बल्कि आपके रिश्ते को और समृद्ध और मजबूत बनाने में सहायक भी होता है तथा आप एक सुखी जीवन जी सकते हैं।

 

निष्कर्ष

 

 

अंक विद्या, जिसे अंक शास्त्र या न्यूमैरोलॉजी भी कहा जाता है, एक प्राचीन विधा है जो अंकों के माध्यम से व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करती है। यह जन्म तिथि और नाम के आधार पर जीवन पथ संख्या, भाग्यांक, आत्मा की अभिलाषा संख्या, व्यक्तित्व संख्या, और अभिव्यक्ति संख्या जैसी महत्वपूर्ण संख्याओं की गणना करती है। इन संख्याओं का उपयोग व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य, और जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए किया जाता है। यह विधा विशेष रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहायक होती है, जैसे विवाह संबंधी निर्णय। अंक विद्या का प्रभावी उपयोग न केवल आत्म-समझ को बढ़ाता है, बल्कि जीवन में संतुलन और समृद्धि लाने में भी सहायक होता है।

 

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FAQs

क्या अंक विद्या में कोई सार्वभौमिक भाग्यशाली संख्या है?

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नहीं अंक विद्या में कोई एक सार्वभौमिक भाग्यशाली संख्या नहीं है। यह व्यक्ति और संस्कृति पर निर्भर करता है।

मार्गदर्शन के लिए मुझे कितनी बार अंक विद्या से परामर्श करना चाहिए?

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जब आप अपने जीवन का कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हो तब अंक विद्या का परामर्श ले लेना चाहिए या फिर सामान्य वर्ष में एक या दो बार।

क्या अंक विद्या में कोई नकारात्मक संख्या है?

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कोई एक सार्वभौमिक नकारात्मक संख्या नहीं है यह व्यक्ति की जन्म तिथि और उसके जन्म से जुड़े अन्य तथ्यों पर निर्भर करता है। कोई संख्या किसी एक व्यक्ति के लिए नकारात्मक हो सकती है तो दूसरे के लिए भाग्यशाली भी हो सकती है।