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ज्योतिष शास्त्र: वैदिक ज्योतिष की गहरी बुद्धिमत्ता की खोज

ज्योतिष शास्त्र: वैदिक ज्योतिष की प्राचीन ज्ञान को उजागर करना
ज्योतिष शास्त्र: वैदिक ज्योतिष की प्राचीन ज्ञान को उजागर करना

 


सामग्री सूची


 

 

ज्योतिष शास्त्र की उत्पत्ति और विकास

 

“ज्योतिष शास्त्र” एक प्राचीन काल से चली आ रही ज्योतिषीय प्रणाली है। इसे हिंदू ज्योतिष या भारतीय ज्योतिष भी कहा जाता है। यह कोई मनगढ़ंत भ्रांति नहीं है अपितु इसमें खगोल शास्त्र गणित एवं विज्ञान का समावेश है।
यह वेदों पर आधारित है और वैदिक ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझना है एवं उसके जीवन की भविष्यवाणी करना है। यह हमें बताता है कि हमारे जीवन में क्या बाधाएं आने वाली हैं तथा हम सही समय पर उपाय करके उससे बच सकते हैं।
मुख्यतः चार वेद होते हैं:- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। प्रत्येक वेद में ज्योतिषीय विज्ञान का अंश विरामान है।
जैसे कि ऋग्वेद में ग्रह नक्षत्र और मौसम के बारे में बताया गया है।
यजुर्वेद में यज्ञ और अनुष्ठानों के समय एवं सूर्य और चंद्रमा की गति, ग्रहण और तिथियां का वर्णन किया गया है।
सामवेद में संगीत और ज्योतिष का संबंध किया गया है।
अथर्ववेद में नक्षत्र ग्रह और राशियों का वर्णन है।

ज्योतिष विज्ञान के इतिहास में कई ऋषि मुनियों एवं विद्वानों का नाम आया है जिनमें से दो प्रमुख विद्वान हैं :- पाराशर और वराहमिहिर

1.महर्षि पराशर ने वेदांग ज्योतिष की नींव रखी जिसमें ज्योतिषीय गणनाओं और सिद्धांतों का विस्तार से विवरण किया जाता है। वेदों में ज्योतिष के ज्ञान को समझने के लिए वेदांग ज्योतिष का अध्ययन महत्वपूर्ण है। इसमें सूर्य सिद्धांत , ग्रह गणित, नक्षत्र विज्ञान आदि के बारे में बताया गया है। उन्होंने ज्योतिषीय ग्रंथ “बृहत्पराशर होराशास्त्र” की रचना की, जो ज्योतिष के प्रमुख ग्रंथों में से एक है।
इसमें ग्रह, राशियों, नक्षत्र, दिशा प्रणाली आदि के बारे में विस्तृत विवरण किया गया है। महर्षि पराशर को वैदिक ज्योतिष के संस्थापकों में से एक माना जाता है।

2.वराहमिहिर प्रमुख ज्योतिषी थे। उनका प्रमुख ग्रंथ है “बृहत्संहिता” जिसमें ज्योतिषी एवं खगोल शास्त्र और साथ ही साथ स्वास्थ्य शास्त्र का भी वर्णन किया गया है। दूसरा उनका महत्वपूर्ण ग्रंथ है “पंचसिद्धान्तिका” इस ग्रंथ में उन्होंने पांच प्रमुख ज्योतिषीय सिद्धांतों का वर्णन किया है जो भारतीय खगोल शास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा भी कई प्रमुख ऋषि और विद्वान हुए हैं जैसे कि जैमिनी, प्रभु ऋषि, कश्यप ऋषि और इन सभी ने अपने-अपने ग्रंथ लिखे हैं जो की ज्योतिष विज्ञान के बारे में हमारी ज्ञान वृद्धि करते हैं।

 

वैदिक ज्योतिष के मौलिक सिद्धांत

 

वैदिक ज्योतिष के मौलिक सिद्धांतों की बात करें तो वैदिक ज्योतिष निम्नलिखित चीजों पर निर्भर करता है:-
ग्रह:- वैदिक ज्योतिष में नौ ग्रह मुख्य हैं सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु ।

राशियां:- 12 राशियां हैं जोकि व्यक्ति के जन्म के समय पर निर्भर करती हैं, जैसे की मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ एवं मीन।

भवन:- ज्योतिषी में 12 भवन होते हैं जोकी अलग-अलग भाव को दर्शाते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताते हैं। जैसे की प्रथम भाव दर्शाता है आत्मा एवं व्यक्तित्व को, द्वितीय भाग धन एवं परिवार को, इसी तरह से बाकी के भवन भी अलग-अलग भाव को दर्शाते हैं जैसे कि भाग्य, मित्र, हानि, करियर, रोग, संतान, शिक्षा आदि।

दशा प्रणाली:- दशा प्रणाली का अर्थ है व्यक्ति के जीवन के विभिन्न कालखंड जोकी ग्रहण के प्रभाव के आधार पर समय काल द्वारा विभाजित किए जाते हैं। एक मुख्य दशा प्रणाली है विम्शोत्तरी दशा जिसमें 120 वर्ष का चक्र होता और यह चंद्रमा की स्थिति पर आधारित है।

नक्षत्र:- ज्योतिषी में 27 नक्षत्र होते हैं। नक्षत्र चंद्रमा की गति के आधार पर विभाजित किया जाते हैं।

गोचर:- गोचर में ग्रहों के वर्तमान स्थिति और उनका किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली पर प्रभाव देखा जाता है।

अष्टक वर्ग:- इस प्रणाली में ग्रहों की स्थिति से व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। हर ग्रह के लिए अलग-अलग अष्टक वर्ग बनाए जाते हैं।

योग और दोष:- यह ज्योतिष का आखिरी सिद्धांत है। विशेष ग्रह स्थितियों द्वारा व्यक्ति के जीवन में शुभ या अशुभ प्रभाव पड़ते हैं जिन्हें योग या दोष कहा जाता है। जैसे कि राजयोग जो की एक समृद्धि योग के रूप में जाना जाता है और व्यक्ति के जीवन में सफलता लाता है। वहीं दूसरी ओर कालसर्प योग जो की एक अशुभ योग माना जाता है ।

ज्योतिष में ग्रहों की चाल को ब्रह्मांडीय नृत्य कहा जाता है। जिसमें हर ग्रह का एक निश्चित पथ होता है और वह उस पर निरंतर गति से चलता रहता है और इसी कारण विभिन्न राशियों और भवनों में उस ग्रह की स्थिति बदल जाती है और हमारे जीवन पर अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की यह गतिशीलता हमारे जीवन में शुभ और अशुभ प्रभाव पैदा करती है। ग्रहों की चाल का अध्ययन करके ज्योतिष यह अनुमान लगाते हैं कि हमारे जीवन में क्या होने वाला है और कैसी चुनौतियों का हमें सामना करना पड़ेगा।

नक्षत्र या चंद्र नक्षत्र या चंद्रमा की हवेलियां यह वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं। यह चंद्रमा के पथ के विभिन्न बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस नक्षत्र में हमारा जन्म होता है उसे हमारा जन्म नक्षत्र कहते हैं और इससे हमारे व्यवहार एवं आचरण का पता चलता है और हमारे संभावित जीवन पथ का भी अनुमान लगाया जा सकता है। चंद्रमा की हवेलियां हमारे भाग्य का मार्गदर्शन करने में एक मुख्य भूमिका निभाती है।

 

आधुनिक समय में ज्योतिष शास्त्र का महत्व

 

दैनिक जीवन में ज्योतिष शास्त्र बहुत उपयोगी है। यह हमारे निर्णय और क्रियाकलापों को मार्गदर्शन देने में सहायता करता है। इससे हम जान सकते हैं कि दिन के संभावित घटनाक्रम और चुनौतियां क्या हैं। जिससे हम उनके लिए अपने आप को तैयार कर सकते हैं और कुछ अशुभ होने से रोक सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र दैनिक जीवन के हर पहलू में संतुलन और समृद्धि लाने में सहायता करता है।
साथ ही साथ हिंदू अनुष्ठान और त्योहारों में ज्योतिष शास्त्र मुख्य भूमिका निभाता है। इसके द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त और तिथियां पर अगर हम कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो वह दुगना फलदायक होता है। ग्रहण, संक्रांति और अन्य खगोलीय घटनाओं का भी धार्मिक महत्व होता है। और इन्हें ध्यान में रखकर ही विशेष पूजा की जाती है। यह परंपरा काफी सालों से चली आ रही है और हिंदू लोग ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही कोई भी पूजा पाठ करना उचित समझते हैं।

 

आधुनिक समय में ज्योतिष शास्त्र के लाभों को समझना

 

वैदिक कुंडली विश्लेषण के माध्यम से हम खुद के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं और व्यक्तिगत विकास की प्रक्रिया को गहराई से समझ सकते हैं। कुंडली के विभिन्न तत्व जैसे कि गृह, राशियां, भवन हमारे व्यक्तिगत विशेषताओं, जीवन के उद्देश्य और संभावित घटनाओं के बारे में बताते हैं। यह हमारी क्षमताओं, कमजोरी और मानसिक प्रवृत्तियों का भी विश्लेषण करते हैं जिससे हम अपनी ताकत को बढ़ावा दे सकते हैं और कमजोरी को सुधारने पर काम कर सकते हैं। वैदिक कुंडली के माध्यम से हम उपयुक्त ज्योतिष के उपाय पाकर, जैसे कि रतन चयन, सकारात्मक ऊर्जा अपने जीवन में बढ़ा सकते हैं और आत्मविश्वास के साथ अपना जीवन जी सकते हैं।
ज्योतिषी अंतर्दृष्टि के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करना एक समझदारी वाला उपाय है। पहले से ही संकट के लिए सतर्क रहना बहुत लाभदायक होता है। हम अपने स्वभाव और कमजोरी एवं ताकतों को पहचान सकते हैं और अपनी योजनाओं और अपने जीवन जीने का तरीका उसी पर निर्भर करके तैयार कर सकते हैं।

 

ज्योतिष बनाम पश्चिमी ज्योतिष: मुख्य अंतर का खुलासा

 

वैदिक ज्योतिष एवं पश्चिमी ज्योतिष दोनों ही खगोल शास्त्र और गणना पर आधारित है परंतु दोनों के सिद्धांत और दृष्टिकोण अलग-अलग है कुछ मुख्य अंतर की बात करें तो:-

वैदिक ज्योतिष नक्षत्र पर आधारित है। यह नक्षत्र की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखता है और इससाइडरियल ज्योतिष कहा जाता है जबकि पश्चिमी ज्योतिषमौसमी चक्र पर आधारित है और यह ग्रहण की स्थिति को स्थिर मानता है और इसे ट्रॉपिकल ज्योतिष कहा जाता है।

वैदिक ज्योतिष में व्यक्ति के जीवन के समय में विभिन्न ग्रहों के प्रभाव का दर्शन किया जाता है जबकि पश्चिमी ज्योतिष में समय के साथ-साथ ग्रहण की गति और उनके प्रभाव को दर्शाया जाता है।

वैदिक ज्योतिष में 12 भाव या घर होते हैं जो जन्म के समय के अनुसार विभाजित होते हैं और प्रत्येक घर का मतलब अलग-अलग होता है जबकि पश्चिमी ज्योतिष में भी 12 घर होते हैं लेकिन उसमें उनका अर्थ होता है वर्ष के 12 महीने और वह सूर्य की यात्रा पर आधारित होते हैं।

वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली और चंद्र कुंडली मुख्य होती है जबकि पश्चिमी ज्योतिष में सूर्य राशिफल और सोलर रिटर्न चार्ट मुख्य होता है।

भारतीय ज्योतिष में रत्न धारण करना, मंत्र जाप करना, पूजा या यज्ञ करना ऐसे उपाय बताए जाते हैं जबकि पश्चिमी ज्योतिष में स्वयं का विकास करना या मनोवैज्ञानिक परामर्श लेना इस तरह के उपाय लोगों को बताए जाते हैं।

अतः मूलभूत अंतर दृष्टिकोण प्रणाली एवं विश्लेषण के तरीकों का है।

 

ज्योतिष के साथ शुरुआत करना: शुरुआती लोगों के लिए टिप्स

 

यदि आप ज्योतिष विज्ञान सीखना चाहते हैं तो आपको कुछ उपकरणों और संसाधनों की जरूरत पड़ेगी। आजकल का चाल चलन है इंटरनेट से देखकर चीजें सीखना। इसी प्रकार आप भी कोई ऑनलाइन ट्यूटोरियल ले सकते हैं या ऑनलाइन ज्योतिषीय कोर्स ले सकते हैं या फिर आप किसी प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथ जैसे कि बृहत्संहिता, बृहज्जातक, पाराशर होरा शास्त्र आदि पढ़कर भी आप ज्योतिष विज्ञान के बारे में काफी कुछ सीख सकते हैं।
साथ ही साथ सबसे जरूरी होता है “मार्गदर्शन” अतः आप किसी अनुभवी ज्योतिषी चिकित्सक से मार्गदर्शन ले तो बहुत ही उचित होगा। नियमित रूप से कुंडलियों का विश्लेषण करना, ज्योतिषीय समुदायों एवं फोरम्स में भागीदारी लेना आपके लिए बहुत लाभदायक होगा। साथ ही साथ इंटरनेट पर बहुत से लेख, आर्टिकल उपलब्ध हैं आप उनको पढ़कर भी ज्योतिष विज्ञान के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं।
ऊपर बताए गए सभी संसाधनों में सबसे जरूरी है मार्गदर्शन यानी कि एक सम्मानित ज्योतिषीय चिकित्सक। एक सम्मानित ज्योतिषीय चिकित्सक को ढूंढते समय आपको कुछ बिंदुओं पर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि

उसकी शिक्षा यदि उस ज्योतिषीय चिकित्सक ने वैदिक ज्योतिष में प्रमाण पत्र या कोई डिग्री हासिल की है तभी आप उसकी शरण में आए। वह किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से ज्योतिषीय शिक्षा पढ़ा होना चाहिए।
साथ ही साथ इस विज्ञान के लिए अनुभव सबसे ज्यादा जरूरी है। एक ऐसा चिकित्सक जिसके पास वर्षों का अनुभव होगा वही आपको सही मार्गदर्शन दे सकता है।
बाकी आप अपनी निजी पसंद के अनुसार भी जिसके पास आप आसानी से जा सके तथा जिसके स्वभाव में आपको नैतिकता महसूस हो ऐसे ज्योतिष चिकित्सक से ज्योतिष विद्या सीखना फलदायक साबित होगा।

 

निष्कर्ष

 

ज्योतिष शास्त्र, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो वेदों और प्राचीन ग्रंथों पर आधारित है। यह न केवल हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और भविष्यवाणी करने में मदद करता है, बल्कि हमें अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करता है। वैदिक ज्योतिष के मूलभूत सिद्धांत जैसे ग्रह, राशियां, भवन, दशा प्रणाली, और नक्षत्र हमें हमारे जीवन के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

आधुनिक युग में भी ज्योतिष शास्त्र का महत्व बना हुआ है, क्योंकि यह न केवल हमारे दैनिक जीवन में संतुलन और समृद्धि लाने में मदद करता है, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ज्योतिष शास्त्र सीखने की यात्रा में मार्गदर्शन और अनुभव महत्वपूर्ण हैं। चाहे आप प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर रहे हों या किसी अनुभवी ज्योतिषी से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हों, यह ज्ञान न केवल आपकी व्यक्तिगत विकास में सहायक होगा बल्कि आपको जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार करेगा।

इसलिए, ज्योतिष शास्त्र को समझना और इसे जीवन में लागू करना, एक गहरे और संतुलित जीवन की ओर एक कदम है।

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FAQs

मैं अपनी जन्म कुंडली के बारे में अधिक कैसे जान सकता हूँ?

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आप किसी अनुभवी ज्योतिष से परामर्श ले सकते हैं तथा यदि आप खुद ज्योतिषी में रुचि रखते हैं तो आपको समझना होगा की कुंडली के प्रमुख तत्व क्या है साथ ही साथ आप कुछ ग्रंथों का भी उपयोग कर सकते हैं।

ज्योतिष उपायों में रत्नों की क्या भूमिका होती है?

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ज्योतिष उपाय में रत्न की महत्वपूर्ण भूमिका है। रतन का उपयोग करके ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाया जाता है और नकारात्मक प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाती है।

ज्योतिष चिकित्सक से कितनी बार परामर्श लेना चाहिए?

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यह पूर्णतया व्यक्ति पर निर्भर करता है। आप साल में एक या दो बार भी परामर्श ले सकते हैं या फिर कभी स्वास्थ्य समस्याएं हो या तनाव की स्थिति हो तब आपको ज्योतिष चिकित्सा से परामर्श लेना चाहिए।

वैदिक ज्योतिषीय चार्ट में 12 घर क्या होते हैं?

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वैदिक ज्योतिषीय चार्ट या जिसे जन्म पत्रिका भी कहा जाता है उसमें जो 12 घर होते हैं वह जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। जन्म के समय के अनुसार यह घर विभाजित होते हैं और प्रत्येक घर का अलग महत्व है जैसे कि स्वास्थ्य, धन, परिवार, संतान, रोग आदि