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रुद्राभिषेक कब करना चाहिए?
रुद्राभिषेक पूजा के प्रकार
रुद्राभिषेक करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शन
रुद्राभिषेक करने के लाभ
“रुद्र” भगवान शिव का ही एक नाम है और “अभिषेक” का अर्थ होता है शुद्धिकरण या सफाई। माना जाता है कि रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। चाहे व्यवसाय में कोई रुकावट हो, धन वृद्धि, पुत्र प्राप्ति आदि किसी भी प्रकार की मनोकामना के लिए रुद्राभिषेक करना बहुत उपयोगी माना जाता है। भगवान शिव की पूजा सही विधि से करने पर वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी समस्याओं का विनाश कर देते हैं। ऐसे में रुद्राभिषेक करने का सही दिन, सही तिथि एवं सही तरीका ज्ञात होना बेहद आवश्यक है।
रुद्राभिषेक कब करना चाहिए?
किसी भी सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना उचित माना जाता है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि सोमवार भगवान शिव का दिन होता है, इसलिए सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना बहुत लाभदायक है। वही दूसरी ओर प्रदोष काल यानी प्रत्येक पखवाड़े के 13वें चन्द्र दिन पर भी रुद्राभिषेक करना उचित बताया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण है महाशिवरात्रि का दिन, इस दिन रुद्राभिषेक करना अर्थात अपनी सभी कष्टों को दूर कर लेना। साथ ही साथ सावन माह के सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना दुगुना फलदायक होता है।
बात करें आदर्श समय की तो रुद्राभिषेक के लिए दिन के दो मुहूर्त सबसे अच्छे माने जाते हैं जोकि हैं:-
- सुबह जल्दी (ब्रह्म मुहूर्त में)
- शाम के समय (प्रदोष काल में)
ब्रह्म मुहूर्त यानी “ब्राह्मण का समय”। सूर्योदय से पहले का समय (लगभाग 1 घंटा 36 मिनट पहले) जो किसी भी प्रकार के योग, ध्यान या उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
प्रदोष काल हिन्दू धर्म में शिव जी की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। संध्याकाल के समय सूर्यास्त के पहले या बाद के 30 मिनट के समय को प्रदोष काल बोला जाता है।
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियां रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम तिथियां हैं।
साथ ही साथ जब भी घर में कोई पूजा हो, कोई जन्मदिन या वर्षगाँठ, नया उद्यम शुरू हो या किसी भी बाधा से आप ग्रस्त हों तब रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव आप पर कृपा बरसाएँगे।
रुद्राभिषेक पूजा के प्रकार
रुद्राभिषेक पूजा कई अलग-अलग तरीकों से की जाती है। भगवान शिव का स्नान भांति भांति के पदार्थों से कराया जाता है जिनमें सबका अपना महत्व है। जैसे की जल अभिषेक, दूध अभिषेक, शहद अभिषेक, पंचामृत अभिषेक, घी अभिषेक आदि।
- लोगो का मानना है कि जल अभिषेक से उनके सारे पाप धुल जाते हैं या जीवन में आई विपत्तियाँ टल जाती हैं।
- दूध अभिषेक से यह मान्यता जुड़ी हुई है कि जो विवाहित जोड़े संतान प्राप्ति में कठिनाई महसूस करते हैं, उनके द्वारा किए गए दूध अभिषेक से संतान प्राप्ति की समस्या दूर हो जाती है।
- शहद से अभिषेक करने पर घर में धन वृद्धि होती है।
- घी से अभिषेक करने पर माना जाता है कि वंश का विस्तार होता है।
- पंचामृत अभिषेक करने के लिए पांच चीजों का प्रयोग किया जाता है – दूध, दही, घी, शहद और चीनी या गन्ने का रस। माना जाता है कि इससे सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं।
रुद्राभिषेक करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शन
अगर हम बात करें रुद्राभिषेक पूजा से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए तो सबसे पहले जैसा कि हर हिंदू पूजा करते समय होता है, हमें भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। साथ ही साथ भगवान शिव, पार्वती एवं सभी देवताओं का मनन करना चाहिए। इसी के बाद हम मुख्य रुद्राभिषेक पूजा को शुरू कर सकते हैं।
मुख्य तौर पर जो वस्तुएं बाकी पूजाओं में इस्तेमाल होती हैं वहीं सब हमें रुद्राभिषेक के लिए भी तैयार रखनी चाहिए जैसे की दीया, घी, तेल, बाती, फूल, सिंदूर, चंदन का लेप, धूप, कपूर, अगरबत्ती, सफेद फूल, बेल पत्र, दूध, गंगा जल गुलाब जल आदि ।
इस प्रक्रिया के लिए शिवलिंग का उत्तर दिशा में होना ज़रूरी है, यदि शिवलिंग उत्तर दिशा में नहीं है तो पहले उसे उत्तर दिशा में स्थापित किया जाएगा और आपको पूरब दिशा की ओर मुख करके बैठना होगा।
रुद्राभिषेक प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए तथा उसके बाद ही बाकी की सामग्री जैसे दूध, घी, इत्र, आदि को अर्पित करना चाहिए।
ये सब करने के बाद भगवान शिव की आरती कर उन्हें प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। और पूजा में इस्तेमाल हुआ जल एवं अन्य द्रव्यों को भक्त जानो पर छिड़कना चाहिए। पूजा में उपस्थित लोग चाहे तो वो जल ग्रहण भी कर सकते हैं। किसी भी शिव पूजा की भांति इसमें भी “ओम नमः शिवाय” का उच्चारण किया जाता है।
रुद्राभिषेक करने के लाभ
अब तक आप लोग रुद्राभिषेक के कई लाभ तो जान ही गए होंगे लेकिन फिर भी आपको बता दें कि इस पूजा के निम्नलिखित लाभ हैं:-
- मोक्ष प्राप्ति
- सुख प्राप्ति
- संतान प्राप्ति
- धन प्राप्ति
- मनोकामना पूर्ण होना
- घर या प्रॉपर्टी से जुड़े लाभ
- आरोग्यता
- वंश विस्तार
- शत्रुओं से मुक्ति
- बुद्धि वृद्धि
निष्कर्ष:
रुद्राभिषेक हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठानों में से एक है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अद्वितीय माध्यम है। इस अनुष्ठान के दौरान की गई विधियों और मंत्रों का पालन श्रद्धालुओं को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है। रुद्राभिषेक न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति का साधन है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक जागृति भी लाता है।
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