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संतान प्राप्ति पूजा: संतान के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने की एक मार्गदर्शिका

संतान प्राप्ति पूजा: संतान के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के उपाय और मंत्र
संतान प्राप्ति पूजा: संतान के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के उपाय और मंत्र

 


अनुक्रमणिका

 

 


 

 

संतान प्राप्ति पूजा को समझना: निःसंतान दंपतियों के लिए आशा की किरण

 

 

जिन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है, वे संतान प्राप्ति पूजा करते हैं, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस पूजा का उद्देश्य भगवान से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेना है। हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति विवाह का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस पूजा में आदर्श दंपत्ति भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। 

 

इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि संतान प्राप्ति पूजा अशुभ ग्रहों को दूर करने और पारिवारिक संतुलन को फिर से बनाने के लिए एक प्रभावी उपाय है, जो दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त करने में मदद करती है।

 

भारतीय संस्कृति और धर्म में संतान को भगवान का अनमोल आशीर्वाद मानते हैं, और जब प्राकृतिक प्रयासों से संतान सुख नहीं मिलता, तो दंपत्ति दिव्य हस्तक्षेप की शरण लेते हैं। इसका अर्थ है कि वे भगवान की शरण में जाते हैं, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे संतान सुख की प्रार्थना करते हैं।

 

 

संतान प्राप्ति के लिए किन देवताओं की पूजा करनी चाहिए?

 

 

भगवान शिव और देवी पार्वती, जिन्हें दिव्य माता-पिता माना जाता है, वे विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए पूजे जाते हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव को मारक और सृष्टि के रक्षक के रूप में पूजा जाता है, जबकि देवी पार्वती को मातृत्व और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इन दोनों की पूजा संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ाती है। मान्यता है कि दंपत्ति को भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा से संतान सुख मिलता है और उनकी पूजा से आशीर्वाद मिलता है। 

 

भगवान कृष्ण को बच्चों के रक्षक और पालनहार के रूप में पूजा जाता है। भगवान कृष्ण, जिन्हें “बाल गोपाल” भी कहा जाता है, बचपन और बाल लीलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जाता है कि उनकी पूजा से न केवल संतान को सुख मिलने की संभावना बढ़ती है, बल्कि यह भी विश्वास किया जाता है कि वे संतान को बचाते हैं और उनका कल्याण करते हैं। दंपत्ति को संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है जब वे भगवान कृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा करते हैं। 

 

देवी लक्ष्मी को सौभाग्य और धन की दात्री के रूप में पूजा जाता है, और संतान प्राप्ति के लिए उनकी पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद जीवन में धन, समृद्धि और सुख-शांति के साथ-साथ संतान सुख भी देता है। दंपत्ति को उनकी कृपा से न केवल आर्थिक सुख मिलता है, बल्कि संतान प्राप्ति का सौभाग्य मिलता है, जिससे परिवार में सुख और संतुलन बना रहता है।

 

भगवान गणेश को शुभारंभ के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। संतान प्राप्ति में उनकी आराधना का विशेष महत्व है क्योंकि वे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करके सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गणेशजी की कृपा से दंपत्ति को संतान सुख की राह में आने वाली हर चुनौती से छुटकारा मिल जाता है।

 

 

गर्भ धारण के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु शक्तिशाली मंत्र

 

 

संतान प्राप्ति के लिए कुछ उपयोगी मंत्र बताए जाते हैं जैसे की:- 

 

१. संताना गोपाल मंत्र:- “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।”

 

२.अस्य गोपाल मंत्रस्य, नारद ऋषि:,

अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, म

म पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:।

 

३.ॐ नमो भगवते जगत्प्रसूतये नमः । 

 

इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भगवान की कृपा दंपत्ति पर बनी रहती है और संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ती हैं।

 

 

घर पर संतान प्राप्ति पूजा करने की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका

 

घर पर संतान प्राप्ति पूजा करने की तैयारी करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें सही सामग्री और व्यवस्था की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, पूजा करने के लिए एक शुद्ध, शांत स्थान चुनना चाहिए।  इसके अलावा, संतान प्राप्ति के लिए पूजा में भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान कृष्ण, दीपक, अगरबत्ती, फूल, पान, दूध, दही और शहद शामिल हैं। इनके साथ ही खीर पूरी व गुड़ के सात पुए या फिर सात मीठी पूरी भी तैयार कर लेनी चाहिए। 

 

यदि पूजा की विधि और मंत्रों का सही ढंग से संचालन करने के लिए एक पुजारी हो तो बहुत अच्छा होता है। यह पूजा दिन के समय ही कर लेनी चाहिए। कलश स्थापित कर उसमें आम के पत्तों के साथ नारियल रखना चाहिए। पूजा की थाली में सभी सामग्री रखकर तैयार कर लेनी चाहिए और उसके बाद उन सात मीठी पूरियों को केले के पत्ते में बांधकर पूजा में रखना चाहिए और संतान के लिए प्रार्थना करते हुए भगवान शिव को कलावा अर्पित करना चाहिए। 

 

पूजा के दौरान सभी सामग्री का विधिवत उपयोग करें और विशेष मंत्र जाप करें, जैसे संतान गोपाल और देवी पार्वती के मंत्र। सही सामग्री और व्यवस्था के साथ पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और संतान के जन्म की संभावना बढ़ती है।

 

 

अपनी आध्यात्मिक यात्रा को बढ़ाने के लिए पूरक उपाय

 

 

आध्यात्मिक यात्रा को बढ़ाने के लिए आहार और उपवास बहुत महत्वपूर्ण है। धार्मिक और आध्यात्मिक अनुशासन मन और शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है। नियमित प्रार्थना और ध्यान से आंतरिक शांति और संतुलन मिलता है, जो आध्यात्मिक यात्रा में स्थिरता और गहराई लाता है। 

 

योग और ध्यान प्रजनन में बहुत फायदेमंद हो सकते हैं। योग और ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं, साथ ही भावनात्मक और मानसिक संतुलन भी बनाते हैं, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं। योगासन रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखते हैं। ध्यान और प्राणायाम शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करते हैं।

 

धर्मार्थ कार्य और सेवा करने से संतान प्राप्ति के प्रयासों को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है। व्यक्ति धार्मिक कार्यों और सामाजिक सेवा करके आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध होता है। दंपत्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जैसे मंदिरों में दान देना, गरीबों की मदद करना या समाज में सेवाएं देना। इन कामों से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है, जो संतान प्राप्ति में मदद करती है। इस प्रकार, संतान सुख प्राप्त करने की संभावना धर्मार्थ कार्य और सेवा से बढ़ती है। 

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निष्कर्ष

 

 

संतान प्राप्ति पूजा निःसंतान दंपतियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस पूजा के माध्यम से दंपत्ति भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही मंत्र जाप, सही पूजा विधि, और पूरक उपायों का पालन करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है। यह पूजा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है, बल्कि दंपतियों के जीवन में नए आशा और विश्वास का संचार करती है, जिससे वे जीवन में संतान सुख प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

 

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FAQs

क्या इस पूजा के लिए कोई विशेष दिन या समय अधिक शुभ होता है?

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इस पूजा के लिए संतान सप्तमी का दिन अधिक शुभ होता है।

संतान प्राप्ति पूजा का प्रदर्शन कितने समय तक करना चाहिए, जब तक परिणाम प्राप्त न हो जाएं?

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संतान प्राप्ति पूजा को तब तक जारी रखा जा सकता है जब तक परिणाम प्राप्त न हों। नियमित उपवास, व्रत, और मंत्र जाप का पालन करना लाभकारी होता है।

क्या दोनों पति-पत्नी संतान प्राप्ति पूजा में भाग ले सकते हैं, या यह मुख्य रूप से महिलाओं के लिए है?

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संतान प्राप्ति पूजा में दोनों पति-पत्नी भाग ले सकते हैं। पति और पत्नी दोनों की सहभागिता इस पूजा को अधिक प्रभावी बनाती है।