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शनि शिंगणापुर पूजा: अनुष्ठान, समय और चढ़ावे का अंतिम मार्गदर्शक

शनि शिंगणापुर पूजा: अनुष्ठान, समय और चढ़ावे
शनि शिंगणापुर पूजा: अनुष्ठान, समय और चढ़ावे

 


अनुक्रमणिका


 

 

शनि शिंगणापुर पूजा करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका

 

महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में शनि शिंगणापुर नामक गांव में स्थित “शनि शिंगणापुर” मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां पर भगवान शनि की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है। भगवान शनि प्रसन्न होकर हमें हमारे कर्मों का फल देते हैं। भगवान शनि को कर्मों का ग्रह कहा जाता है तथा सभी ग्रहों में उनका प्रभाव सबसे ज्यादा है। इसीलिए उनकी पूजा करना बहुत जरूरी है।

 

मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले स्नान कर लें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले। शनिदेव की मूर्ति के सामने पहुंचे तथा अपना उद्देश्य स्पष्ट रखें। अपने मन में कोई बुरा भाव ना रखें, ना ही किसी के प्रति ईर्ष्या या जलन का भाव रखें। सच्चे मन से श्रद्धा करें। पूजा के लिए आवश्यक आवश्यक सामग्रियां जैसे की काला तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, काले वस्त्र आदि साथ लें। 

 

शनि देव की मूर्ति पर सरसों का तेल चढ़ाया जाता है तथा काले तिल से अभिषेक करना भगवान को बहुत पसंद है। एक दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें। माना जाता है कि दीपक की लौ भगवान को प्रकाश अर्पित करती है। भगवान शनि अंधकार के देवता हैं अतः उन्हें प्रकाश अर्पित करना बहुत लाभदायक होता है। शनि मंत्रों का जाप करें या शनि चालीसा भी पढ़ सकते हैं। अपनी समस्याओं  को भगवान के सामने रख दें तथा अंत में प्रसाद ग्रहण करें। जितना आपके सामर्थ्य में हो, जरूरतमंदों की मदद करें। उन्हें वस्त्र दें या उन्हें एक वक्त का भजन करादें। इन सबसे शनि भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं तथा अपनी कृपा बरसाते हैं।

 

शनि शिंगणापुर मंदिर कब बंद होता है?

 

शनि शिंगणापुर मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। आप सप्ताह में किसी भी दिन आकर किसी भी वक्त दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सदा खुला रहता है। यहां कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बस एक साढे 5 फुट की एक काली शिला है जिसके ऊपर कोई छत भी नहीं है। गर्मी, सर्दी, बारिश, सब में वह ज्यों की त्यों वहीं खड़ी रहती है तथा उसे ही शनिदेव का स्वयंभू कहा जाता है।

 

शनि देव की पूजा का समय

 

शनिवार को शनि देव की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है। इस दिन शनि देव की भक्ति और पूजा विशेष महत्वपूर्ण है। शनिवार को शनि देव की शक्ति और कृपा पाने के लिए, श्रद्धालु सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनकर विधिपूर्वक पूजा करते हैं। शनि देव की प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर, तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले फूल अर्पित करते हैं। शनि मंत्र जप और शनि चालीसा पढ़ना भी लाभकारी माना जाता है। शनि देव की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है और शनि के बुरे प्रभावों से बचाव मिलता है।

 

शनि देव को प्रसन्न करने वाले चढ़ावे और प्रसाद

 

बात करें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उन पर क्या-क्या चढ़ाया जाता है? तो सबसे पहले एक तेल या घी के दीपक का प्रयोग किया जाता है ताकि अर्पित की जाने वाली वस्तुओं पर प्रकाश डाला जा सके। धूपबत्ती जलाई जाती है ताकि वायु तत्वों का शुद्धिकरण किया जा सके तथा इसकी सुगंध से देवता प्रसन्न होते हैं। कपूर जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। कहा जाता है कि भगवान हनुमान की पूजा भी शनि देव की पूजा के लिए लाभकारी होती है क्योंकि शनि देव भी भगवान हनुमान के गुणों की प्रशंसा करते हैं। 

 

शनि शिंगणापुर मंदिर में सरसों के तेल से भगवान शनि का अभिषेक किया जाता है। शनि देव पर अक्सर ही नीले या बैंगनी फूल चढ़ाए जाते हैं। उनके शरीर का रंग भी कई पुराणों में ऐसा ही बताया जाता है। अतः वह इन्हीं फूलों से प्रसन्न होते हैं। जैसे कि नील कमल, बैंगनी आर्किड, नीला थीस्ल आदि। सुखे मेवे, फल एवं पारंपरिक भारतीय मिठाई आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो एक कहानी में ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शनि सपने में आकर तिल का अभिषेक करने के लिए कहते हैं  इसीलिए भगवान शनि की पूजा के लिए काले तिल चढ़ाना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। यह सबसे प्रभावी तरीकों में से एक माना जाता है। काले तिल भगवान शनि के रंग के समान होते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। इसके अलावा पंचामृत चढ़ाने से भी शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

 

प्रसाद प्राप्त करने से व्यक्ति का जीवन गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसमें कई आध्यात्मिक लाभ होते हैं। प्रसाद को भगवान का आशीर्वाद माना जाता है और इसे खाने से भक्तों की भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है। यह भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण को मजबूत करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है, जिससे मन स्थिर और शांत रहता है। प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति भी बढ़ती है, जो उसे आत्मा की शक्ति को समझने में और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने में सहायता करता है। यह धार्मिक आचरण व्यक्ति के जीवन में धार्मिक और नैतिक मूल्यों का विकास करता है और उसे सही और गलत की पहचान करने में मदद करता है।

 

शनिदेव की पूजा में क्या निषिद्ध है?

 

शनि देव की पूजा करते समय कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए:- 

 

ऊँ शं शनैश्चाराय नमः” इस मंत्र का जाप सही तरह से करना चाहिए। यदि आपको यह बोलना नहीं आ रहा तो पहले आप इसका सही उच्चारण सीख लें अन्यथा परिणाम विपरीत हो सकते हैं।

 

शनि देव की पूजा कभी भी उनकी मूर्ति के बिल्कुल सामने रहकर नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनकी दृष्टि जिस पर भी पड़ती है वह नष्ट हो जाता है इसलिए कभी भी उनकी आंखों में भी नहीं देखना चाहिए।

 

यह कहा जाता है कि शनि की शिला वाले मंदिर जैसे कि शनि शिंगणापुर,ऐसे मंदिरों में प्रार्थना करना उचित होता है यदि आपको पाषाण वाला मंदिर नहीं मिल रहा तो आप शमी या पीपल के पेड़ को प्रतीक मानकर उनकी पूजा भी कर सकते हैं। 

 

शनि अंधकार के प्रतीक है इसीलिए उनको दीपक जलाकर प्रकाश अर्पित किया जाता है परंतु ध्यान रखें कि दीपक जलाने में कभी तेल बर्बाद नहीं करें।

 

तथा सबसे महत्वपूर्ण बात आपको अपना आचरण अच्छा रखना चाहिए। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का फल तब तक नहीं मिलता जब तक आपका मन साफ ना हो तथा आप किसी के प्रति इर्ष्या या बुरा भाव रखते हैं।

 

जिस दिन शनि देव की पूजा की जाए उस दिन तामसिक आहार बिल्कुल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

 

अपनी यात्रा के आध्यात्मिक लाभों को अधिकतम करना

 

शनि शिंगणापुर मंदिर में ध्यान और आत्म-चिंतन करने के लिए एक विशिष्ट वातावरण है, जो मानसिक शुद्धता और आत्म-शांति लाता है। मंदिर में शनि देव के सामने बैठकर आत्म-चिंतन करना बहुत फायदेमंद माना जाता है।

 

मंदिर में ध्यान और आत्म-चिंतन करने के लिए सबसे पहले एक शांत स्थान चुनें। ध्यान मुद्रा में बैठकर शरीर को पूरी तरह से शिथिल करके अपनी आँखें बंद करें। शनि देव का स्मरण करते हुए गहरी सांसें लें और फिर छोड़ दें। धीरे-धीरे अपने मन को एकाग्र करके शनि देव की कृपा और उनकी उपस्थिति का अनुभव करें।

अपने मन में उठने वाले प्रश्नों और चिंताओं को शनि देव के सामने रखें और उसके जवाब की उम्मीद करें।

 

ध्यान की इस प्रक्रिया में शनि देव के मंत्रों का जाप भी फायदेमंद होता है। यह मंत्र जाप मन को शांत करके शनि देव की ऊर्जा से जुड़ता है। आत्म-चिंतन के माध्यम से अपने जीवन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों को समझें और शनि देव की कृपा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।

 

शनि शिंगणापुर मंदिर का पवित्र वातावरण आत्म-चिंतन और ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान है। यहाँ किया गया ध्यान आत्मबल, आध्यात्मिक जागरूकता और मानसिक शांति को बढ़ाता है।

 

शनि देव के उपदेशों को दैनिक जीवन में शामिल करने से व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। सबसे पहले, सत्य और न्याय का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, हर काम में सच्चाई और ईमानदारी बनाए रखें। धैर्य भी एक महत्वपूर्ण गुण है, खासकर कठिन परिस्थितियों में, जो मन को स्थिर और शांत बनाए रखने में मदद करता है। अंत में, दान और सेवा के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद करें, जो न केवल दूसरों के जीवन में सुधार लाता है बल्कि स्वयं की आत्मिक उन्नति भी करता है। इन उपदेशों को अपनाकर, शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाई जा सकती है।

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निष्कर्ष

 

शनि शिंगणापुर में शनिदेव की पूजा एक अद्वितीय और आध्यात्मिक अनुभव है। सही विधि और सामग्री का उपयोग कर, शनि देव की कृपा पाई जा सकती है। उनकी पूजा से जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है और सुख, शांति, तथा समृद्धि प्राप्त होती है। सच्चे मन और श्रद्धा के साथ पूजा करें, साफ वस्त्र पहनें, और शनि मंत्रों का जाप करें। मंदिर में ध्यान और आत्म-चिंतन से मानसिक शांति प्राप्त होती है। शनि देव की उपदेशों को दैनिक जीवन में शामिल कर सत्य, न्याय, धैर्य, और दान का पालन करें। शनि शिंगणापुर में की गई पूजा और ध्यान जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होते हैं, जिससे आत्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है।

 

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FAQs

शनि देव की प्रभावी पूजा कैसे सुनिश्चित करें?

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प्रभावी पूजा सुनिश्चित करने के लिए बस आपको सच्ची श्रद्धा से सभी नियमों को मानते हुए तथा सभी चीजों का ध्यान रखते हुए पूजा करनी चाहिए।

क्या महिलाएं शनि देव की पूजा कर सकती हैं?

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हां, महिलाएं भी शनिदेव की पूजा कर सकती हैं। पहले महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में आने की अनुमति नहीं थी परंतु सरकार द्वारा यह रोक भी हटा दी गई है।

शनि शिंगणापुर में एक सामान्य पूजा में कितना समय लगता है?

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शनि शिंगणापुर में एक सामान्य पूजा में आमतौर पर 30 मिनट तक लगती है।