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नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ: राहु-केतु दोष निवारण के उपाय

 नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ से राहु-केतु दोष निवारण के उपाय
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ से राहु-केतु दोष निवारण के उपाय

 


 

अनुक्रमणिका

 

 


 

राहु-केतु दोष और नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का महत्व

 

 

हिंदू धर्म में दुर्गा सप्तशती, जिसे चंडी पाठ या देवी महात्म्यम् भी कहा जाता है, बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें देवी दुर्गा की महिमा और उनके विभिन्न रूपों का उल्लेख है। दुर्गा सप्तशती, जो मार्कंडेय पुराण का एक भाग है, मुख्य रूप से शक्ति साधना के लिए पढ़ी जाती है।

इसे सप्तशती कहा जाता है क्योंकि इसमें कुल 700 श्लोक हैं। इस लेख में तीन प्रमुख भाग हैं। प्रथम चरित्र में देवी महाकाली ने मधु और कैटभ जैसे राक्षसों को कैसे मार डाला। महालक्ष्मी का रूप मध्यम चरित्र में बताया गया है, जो महिषासुर की हत्या की कहानी है। उत्तर चरित्र में महा सरस्वती का वर्णन है, जहां शुंभ-निशुंभ जैसे राक्षसों को मार डाला गया था।

यह लेख आत्मशक्ति प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। नवरात्रि जैसे विशिष्ट अवसरों पर पूजा और उपासना में यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसे पढ़ने से दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आने वाली विपत्तियों और परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

ज्योतिषशास्त्र में राहु-केतु दोष एक महत्वपूर्ण अशुभ योग माना जाता है। यह दोष तब होता है जब राहु और केतु कुंडली में विशेष स्थानों पर होते हैं, जिससे व्यक्ति का जीवन कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ज्योतिष में, राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं और इनके प्रभावों को बहुत रहस्यमय और शक्तिशाली माना जाता है।

राहु केतु दोष के कारण आपके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आ सकती है जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, विवाह में बाधाएं, करियर में रुकावट, मानसिक समस्याएं आदि। इसीलिए जल्द से जल्द राहु केतु दोष का निवारण करना अति आवश्यक है।

 

 

नवरात्रि के दौरान राहु-केतु दोष निवारण के उपाय

 

 

दुर्गा सप्तशती पाठ के ज्योतिषीय लाभ बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर अगर किसी को ग्रह दोष, आर्थिक समस्याओं या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इस पाठ से माँ दुर्गा की कृपा मिलती है, जो राहु-केतु दोष से बचाने में मदद करती है। कुंडली में राहु-केतु के प्रभाव को कम करने, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति लाने और जीवन में आने वाली बाधाओं, शत्रुओं और रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ करें।

राहु केतु दोष निवारण के लिए अन्य ज्योतिष उपाय की बात करें तो चंदन के तिलक और सुगंध का प्रयोग करें, मांस मदिरा और फास्ट फूड का प्रयोग बंद कर दें, नियमित रूप से जाप करें तथा किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर मोती धारण करें। इन सभी उपायों से राहु केतु का अशुभ प्रभाव आपके जीवन पर काम हो जाएगा।

 

 

नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का सही विधि से पाठ

 

 

नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का सही विधि से पाठ करना बहुत आवश्यक है। सबसे पहले स्वयं और पूजा स्थल की शुद्धि करें। स्नान लेकर अपने दिन की शुरुआत करें। फूल, धूप, दीपक तथा आदि पूजा सामग्री माता दुर्गा को अर्पित करें तथा घी का दीपक जलाएं। रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला के साथ मंत्र जाप करें। अपने मन में निश्चय कीजिए कि आपका उद्देश्य है कि आप यह पाठ राहु केतु दोष के निवारण हेतु कर रहे हैं। नवरात्रि के दौरान पाठ करने के लिए कलश स्थापना करना भी जरूरी होता है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले मां दुर्गा का आवाहन करें। दुर्गा सप्तशती के तीन मुख्य भाग है यदि आप पूरे नवरात्रि के दौरान पाठ कर रहे हैं तो इसे 9 भागों में विभाजित करें ताकि आप अंतिम दिन संपूर्ण पाठ कर सकें। पाठ करते समय मन को शुद्ध एवं एकाग्र रखें। माता दुर्गा के बीज मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का जाप करें और संभव हो सके तो नवरात्रि के दौरान उपवास रखें।

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निष्कर्ष

 

राहु-केतु दोष और नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ दोनों ही हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। राहु-केतु दोष जीवन में अनेक परेशानियों का कारण बन सकता है, जिनमें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याएं प्रमुख हैं। इन दोषों का निवारण करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है। इस पावन समय में माता दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को आत्मबल, शांति और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। सही विधि और निष्ठा के साथ किया गया दुर्गा सप्तशती पाठ राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने में सहायक होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और सफलता लाता है।

 

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FAQs

क्या दुर्गा सप्तशती का पाठ राहु-केतु दोष निवारण में प्रभावी होता है?

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हां, दुर्गा सप्तशती का पाठ राहु-केतु दोष निवारण में प्रभावी होता है

नवरात्रि के कौन से दिन राहु-केतु दोष निवारण के लिए श्रेष्ठ होते हैं?

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नवरात्रि के अष्टमी और नवमी दिन राहु-केतु दोष निवारण के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का सही समय क्या है?

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दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का सही समय ब्रह्म मुहूर्त या संध्या काल है।